(वीर बिरसा आबा की जयंती पर 15 Nobember 2017)
ये कौन लोग है?
आबा की आवाज़ आई।
जिस जमीन के जमीर को
रौन रहे है।
कौन लोग है?
खो दिया
जिनका हसुआ बसली
पौवाल से सजते खलिहान मे
मेरा वंश मौत मांग रहा
गाछ के टहनी पर
कौन इसे लटका रहा।
कौन है ये?
हरमु के पानी को
मेरे तक आने से रोक रहा
दामोदर दा सादा कैसे हो रहे
गये सब के सब कहाँ
डीसलरी जो बहती थी
रांची के सीनो मे
सुखा चुकी आपने ही लोगो ने
बचा क्या है इस घरती मे
बचा क्या है इस सांसो मे
नये लोग नये गांव
नयी भाषा नयी संस्कृति
नयी है दुनिया ये।
दोषी कौन
दोषी कौन
इन अपराधो का
किसने लूट ली?????
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