तेरे चोटी की वो उंचाई
अब तक न छु पाई
तेरे वाण के झुले पर
अब तक न छु पाई।
सेकडो बाबा के बीच
ये बाबा न खोज पाई
इस जमी से उस जहा तक
तेरे हुनर को कह आई।
उस हुनर से
आपनी मंजिल खोज आई
तेरे कदमो मे
सारी कथा लिख आई।
अब चलोगे जहा
हर पीढी की यादो मे
बाबा नागार्जुन की याद आई।।।