एतवा मुण्डा
गरूड़पीड़ी
जल- जंगल और जमीन।
पुरखों के धरोहर की रक्षार्थ।।
दया और निडरता।
संंघर्’ा से भरा जीवन,।।
बहती हुई नदी की,।।
विधमान पत्थर की तरह।
सीना तान कर खड़ी।।
अग्नि के तुफान की भांति।
दु”मनों पर बरसने वाली।।
बिरसा मुण्डा के सपनों की।
झारखण्ड की बेटी।।
मकी, दवमनी, फूलो- झानों।
क्ी परचम लहराने वाली।।
ठनकी पवित्र आंचल में।
झारखण्ड की आस्तित्व।।
संास्कृतिक पहचान चिन्ह।
विरासत बांधी हुई हैं,।।
लाखों धमकियों के बाद भी।
घायल “ोरनी की भांति।।
दहाड़ती हुई आगे बढ़ने वाली।
संघर्’ा की चिनगारी।।
दयामनी बारला झारखण्ड की।।
बेटी की बिरसा सेना का।।
लाखों लाख बधाई हों
गरूड़पीड़ी
जल- जंगल और जमीन।
पुरखों के धरोहर की रक्षार्थ।।
दया और निडरता।
संंघर्’ा से भरा जीवन,।।
बहती हुई नदी की,।।
विधमान पत्थर की तरह।
सीना तान कर खड़ी।।
अग्नि के तुफान की भांति।
दु”मनों पर बरसने वाली।।
बिरसा मुण्डा के सपनों की।
झारखण्ड की बेटी।।
मकी, दवमनी, फूलो- झानों।
क्ी परचम लहराने वाली।।
ठनकी पवित्र आंचल में।
झारखण्ड की आस्तित्व।।
संास्कृतिक पहचान चिन्ह।
विरासत बांधी हुई हैं,।।
लाखों धमकियों के बाद भी।
घायल “ोरनी की भांति।।
दहाड़ती हुई आगे बढ़ने वाली।
संघर्’ा की चिनगारी।।
दयामनी बारला झारखण्ड की।।
बेटी की बिरसा सेना का।।
लाखों लाख बधाई हों