सोमवार, 9 दिसंबर 2019

नयी सदी की औरत

   -- अनुपम मोंगिया
'' अब मैं वो पेड़ नहीं बन सकती

कि तुम पत्थर मारो
और मैं फल दूँ तुमको



कि तुम जिधर को खेओ
मैं खिचती चली जाऊँ


मैं वो फूल नहीं बन सकती

कि तुम पत्ती-पत्ती करके मसलो
और मैं बेशर्मी से महकती रहूँ

नहीं मैं वो काँटा भी नहीं हूँ

कि बिना तुम्हारे छेड़े
चुभ जाऊँ हाथों में


पर वो बादल भी नहीं हूँ

कि किसी को प्यासा देख इतना बरसूँ
कि खुद खाली हो जाऊँ


तुम्हें छाया चाहिए

फल चाहिए
तो मुझे भी खाद पानी देना होगा

तुम्हें पार लगाने का दायित्व मेरा सही

पर मुझे लहरों की दिशा में तो खेना होगा

मेरा रंगगंधस्पर्श तुम ले लो

पर मुझे डाली के साथ तो लगे रहने देना होगा

स्वीकार सको तो स्वीकारो
मुझे मेरे तमाम गुणों-अवगुणों

और तमाम शर्तों के साथ


वरना मैं खुश हूँ
सिर्फ मैं होने में ही.....''

      

गुरुवार, 7 मार्च 2019

गृहस्थी



गृहस्थी

आलोका कुजूर

महत्वपूर्ण जगह है मिल जाते है सबके  एक साथ 
कभी दु: ख तो कभी सुख
आंगन मे खिलखिलाते
कभी बरस नही होता कभी तारीख नही होती

जीवन गजब का है
जहाँ
होती है रात और दिन 
यही है जीवन यहाँ
बार बार पोछ लेती है आंचल
भीगी हाथो को
मां से बंधा एक कैसे

सबके हाथो में
कुछ गम को पी लेते है
मुस्कान बांध कर 

आंसू छलक भी जाए तो
जी हलका का एहसास भरकर

ये डोर है बडी़ संगीन रहस्यमय

धो लाती है जहाँ औरत मन के सारी बर्तन
गृहस्थी है जहाँ मिलता है
अपनो का साथ हर पल
मत कहना ये झंझट है
गुजर के जाना हम सबको है

कुछ सपने सो गये तुमको देखकर
कुछ छोड भाग गये हमसे ओकता कर। 
चलते है जीवत और याथर्थ 
घर के आंगन
चाल यही है गृहस्थी के जीवन   भर
थाम हाथो को चलता है सब मिलकर
हर मुहिमों मे बांट लेते है 
हमदर्द
जगह एक ही है सबके लिए
फिर बारिश के साथ सावन छलके। 
हरियाली के आगे मन बहके
जी उठता है मन सबका
कि हर बरस निकला कैसे

 विवाह बेटी कि गृहस्थी है प्रवेश कराती।

बुधवार, 14 नवंबर 2018

तुम काली हो या गोरी(तीर्थ नाथ आकाश)

तुम काली हो या गोरी
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता
तुम लम्बी हो या छोटी
कोई फर्क नहीं पड़ता
तुम मोटी हो या पतली
मुझे कोई दिक्कत नहीं
अल्फाज आपके मेरे रूह को छू जाते हैं
आपकी सांसे मेरे सांसों में घुल जाती है
आप जेठ की दुपहरी में 
बारिश बन मेरे जीवन को भिगोती हो
तो कभी धान की बाली बन 
मेरे जीवन में लहलहाती हो आप
पता नहीं कब आप नदियों की तरह 
मेरे जीवन में बहने लगी हो
और घोंसले से दिल में
गौरैया की तरह रहने लगी हो.

#थोड़ा समझा करो.

बहुत दूर हूं आपसे (तीर्थ नाथ आकाश)

बहुत दूर हूं आपसे
पर दुआ मेरी आपके साथ है,
मैं पड़ा हूं कहीं,
पर हर फरियाद आपके साथ है,
जन्मदिन है आपका,
दुआ यह करता हूं आज
मैं रहूं ना रहूं
हर ऊंचाई आपके साथ रहे,
आकाश से भी ऊंचा
नाम हो आपका,
हमारी तो है
छोटी सी दुनिया
पर परमेश्वर चाहता है कि
सारे संसार में नाम हो आपका

रख हौसला,

रख हौसला, वो मंज़र भी आएगा
प्यासे के पास चल के, समंदर भी आयेंगा
थक कर ना बैठ, ए मंजिल के मुसाफिर
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आएगा.

रंग तो बस रंग है (तीर्थ नाथ आकाश)

रंग तो बस रंग है
इससे क्या फर्क पड़ता है
रंग काला हो या गोरा
रंग हरा हो या लाल
रंग से ज्यादा #व्यक्तित्व मायने रखता है
मायने रखता है मन का रंग
वो सफेद है या काला
किसी का चेहरा
बस उसको पहचानने के लिए होता है
चेहरे से किसी का व्यक्तित्व नहीं झलकता.
तोड़ देंगे हम #रंग_भेद की दीवारें
तोड़ देंगे हम #जाति_भेद की दीवारें
गिरा देंगे हम #धर्म_भेद की दीवारें
डाह देंगे हम #लिंग_भेद की दीवारें

उन दिनों का वो लाल रंग( तीर्थ नाथ आकाश)

उन दिनों का वो लाल रंग
(पीरियड पर मेरी कविता)

उन दिनों का वो लाल रंग
बस लहू नहीं है
वो पहचान है स्त्री होने की
वो स्त्री जो मां है
वो स्त्री जो बहन है
वो स्त्री जो दो परिवारों का बंधन है

उन दिनों का वो लाल रंग
धर्म है उनका
अपवित्र नहीं पवित्र है
सभ्य है सुशोभित है
सुनों दोमुखी समाज हमारा
वो लाल रंग आये तो दिक्कत
ना आये तो दिक्कते दिक्कत
सुनो कोई बकवास नहीं है
यह जरूरी बात है
उन दिनों का वो लाल रंग

वो बस लाल रंग नहीं
जिस्म के हिस्से से
बहता लहू है
वो सींचता है
एक नए बीज को
मैं समझता हूं तकलीफ 
उस मासिक धर्म की
जो तुम्हे(स्त्री) को दर्द देता है
मैं हूँ एक पुरुष लेकिन
यह जानता हूं कि
मैं भी ना होता अगर ना होता
उन दिनों का वो लाल रंग.

समझता हूं तकलीफ होती है
तुम्हारा मन विचलित सा होता है
उन दिनों में तुम चिड़चिड़ा जाती हो
लेकिन मैं भी तो हूं
तुम्हे संवारने को
तुम्हारे मन के उस भटकाव 
हर बार समेटने को
तुम ये मत समझना कि
मैं नहीं समझता हूं
तुम्हारे बार बार बाते बदलने को
छोटी सी बात पर चिल्लाने को
मैं आज खुल कर यह कहता हूं
पीरियड के दिनों में
जब तुमसे बात करता हूं
बिना कारण के तेरा झगड़ना
समझ जाता हूं कि तकलीफ में हो तुम
लेकिन मैं मानता हूं कि
हमारे लिए भी जरूरी है 
उन दिनों का वो लाल रंग.

सभी महिलाओं को मेरा #लाल_सलाम...